Sisakti Titliyan

· Manda Publishers
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यह उपन्यास लगभग चार दशक पूर्व (1985-90) बिहार के ग्रामीण परिवेश की आर्थिक और सामाजिक पृष्टभूमि पर आधारित है। इस उपन्यास की अधिकतर घटनाएँ तत्कालीन सच्ची घटनाओं पर आधारित हैं, जिसे काल्पनिक रूप दिया गया है। इसके सभी पात्र काल्पनिक हैं और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से समानता संयोग मात्र है। यह सिर्फ़ एक उपन्यास नहीं, बल्कि बेटियों को जागरूक, सशक्त और सावधान करनेवाला एक दस्तावेज है ; जो झूठे वादों , रिश्तों की उलझन, आर्थिक तंगी और युवा मन के भटकाव के कारण होनेवाली मानसिक, शारीरिक और सामाजिक उपेक्षा, प्रताड़ना और शोषण से सावधान करता है। यह उपन्यास पुरुष प्रधान समाज के दोहरे चरित्र एवं उसकी मानसिकता के ऊपर भी एक प्रश्न चिह्न खड़ा करता है, जो अपनी बेटियों के प्रति संवेदनहीनता का परिचय देता है। लेखक समाज की बेटियों से अपेक्षा करता है कि वे इस उपन्यास को पढ़ने के बाद जीवन की एक कड़वी सच्चाई से रूबरू होकर सीख ले सकेंगी और अपनी ज़िन्दगी को बेहतर तथा सुरक्षित बनाने का प्रयास करेंगी।

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O autoru

नाम: अशोक कुमार दांगी पता: ग्राम- इटवाँ, पोस्ट + थाना- गुरुआ, जिला- गया ( बिहार ) अशोक कुमार दांगी सेल्स प्रोफेशन से जुड़े हैं और लगभग 30 वर्षों से अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते है। इन्होंने मगध विश्वविद्यालय, बोधगया से एमएससी (ज़ूलोजी) एवं एमबीए (मार्केटिंग) की डिग्री ली है। एमबीए के बाद इन्होंने सेल्समैन के रूप में अपना करियर शुरू किया और सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए फ़िलहाल एक कंपनी में सीएमओ (चीफ मार्केटिंग ऑफिसर) के पद पर कार्यरत हैं। ये जॉब के साथ साथ कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े रहे हैं। ये लगभग 5 वर्षों से एक डिजिटल हिंदी मैगज़ीन “द दांगी टाइम्स” के संस्थापक एवं प्रधान संपादक भी हैं। इनका पहला उपन्यास “शाबाश बेटी” 1993 में (इनके छात्र जीवन में) ही प्रकाशित हुआ था, जो बहुत ज़्यादा चर्चित रहा था। इनकी दूसरी पुस्तक “सेल्समैन की डायरी” इसी वर्ष जनवरी 25 में प्रकाशित हुई है, जिसे अब तक ‘बेस्ट फिक्शन’ का दो दो पुरस्कार मिल चुका है। “सिसकती तितलियाँ” इनकी तीसरी पुस्तक है।


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