कुछ मौज कुछ ज्ञान
सुशोभित निबंध आधुनिक काल की सबसे लोकतांत्रिक और सृजनात्मक विधा है। भारतेंदु से प्रारंभ हुई इस गद्य विधा में हमारे मूर्धन्यों ने इसका उच्चतम विकास किया है और इसके कई आयाम दृष्टिगोचर हुए हैं। फिर भी लगता है कि सखासम्मत भाव के रूप में विकसित इस विधा में कुछ नया रूपांतर घटने वाला है।
‘सुनो बकुल!’ युवा लेखक सुशोभित का पहला निबंध संग्रह है। इस संग्रह में संकलित अधिकांश लेख सुललित एवं लघु आकार के हैं। काव्यपदीय विन्यास में प्रस्तुत और बहत्तर शीर्षकों में रचे इन निबंधों का विषय-वैविध्य चकित करता है; रससिक्त भाषा-शैली, अबोधता और अपने कौतुक भाव से मोहता भी है