लुम्बिनी कानन, तथागतबुद्ध की जन्म स्थली है तो कपिलवस्तु क्रीड़ास्थली है। तथागत बुद्ध ने बोधगया में सर्वश्रेष्ठ सम्यक सम्बोधि लाभ प्राप्त करके सारनाथ में अपने सद्मार्ग का प्रचार-प्रसार किया था। अन्त में तथागत कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त हुए थे। श्रावस्ती, राजगृह, वैशाली जैसे महत्वपूर्ण धामों में वर्षावास करके धम्मोपदेश दिया था। ये सभी धाम बौद्ध जगत के लिए परम पावन व श्रद्धा का केन्द्र है जहाँ प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में धर्मावलम्बी, श्रमण, उपासक व पर्यटकों का आवागमन होता है। तथागत के सद्धम्म जो विश्व को शान्ति, अहिंसा, मैत्री, करुणा और सहिष्णुता का संदेश देता है से परिचित होते हैं।"